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बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग-39: डेढ़ किमी में आधा सैकड़ा गड्ढे, यात्रियों के हिल रहे हैं शरीर के जोड़
सतना नाका से मोहन निवास चौराहे तक बदहाल हुुआ राष्ट्रीय राजमार्ग पन्ना. सतना नाका से मोहन निवास चौराहे तक राष्ट्रीय राजमार्ग-39 मरम्मत के अभाव में बदहाल हो गया है। हालत यह है कि सतना बैरियर से मोहन निवास चौराहा डेढ़ किमी के दायरे में आधा सैकड़ा से ज्यादा गहरे गड्ढे हैं, जो कि लोगों के […]
PANNA NEWSACCIDENT ( दुर्घटना )PANNA TRANSPORT
MR.RAJVEER NAMDEV
8/11/20241 मिनट पढ़ें
परिचय
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की मौजूदा स्थिति अत्यंत दयनीय है। एक डेढ़ किलोमीटर के इस खण्ड में ही आधे सैकड़ा से अधिक गड्ढे हैं। ये गड्ढे यात्रियों और ड्राइवर्स दोनों के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रहे हैं। सड़क पर चलने वाले वाहनों को इन गड्ढों से बचने की कोई संभावना नहीं होती, जिससे दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ती हैं।
हर दिन हजारों गाड़ियाँ इस राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरती हैं, जिनमें भारी वाहन, बसें, और निजी कार शामिल हैं। इन गड्ढों के कारण गाड़ियों की गति प्रभावित होती है, जिससे यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे ड्राइवर्स और यात्रियों की झुंझलाहट बढ़ती है और यात्रा का समय भी काफी बढ़ जाता है।
यात्रियों का शारीरिक स्वास्थ्य इस समस्या से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। गड्ढों की अनियमितता और गहराई के कारण हर बार गाड़ी के झटके से यात्री असहज महसूस करते हैं और उनकी मांसपेशियों और हड्डियों पर भी बुरा असर पड़ता है। कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जहां लोग इन गड्ढों के कारण गिरकर चोटिल हो गए हैं।
सड़क की इस बदहाली के चलते वाहनों का रखरखाव खर्च भी बढ़ गया है। ड्राइवर्स को अक्सर अपने वाहन की मरम्मत करानी पड़ती है। प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की मरम्मत या सुरक्षा उपाय ना उठाए जाने से जनता में भारी असंतोष व्याप्त है। इस राजमार्ग की स्थिति को देखते हुए यह जरूरी है कि तत्काल प्रभाव से उचित कदम उठाए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यात्री और ड्राइवर्स सुरक्षित और सुगम यात्रा कर सकें।
राजमार्ग के खंड की स्थिति
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 का सतना नाका से मोहन निवास चौराहे तक का खंड यात्रियों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। इस महत्वपूर्ण खंड की लम्बाई लगभग 1.5 किमी है, लेकिन इतने छोटे हिस्से में ही आधा सैकड़ा से ज्यादा गहरे गड्ढे हैं। यह खंड मुख्यतः गहन यातायात के तहत आता है, जिसमें भारी वाहन, बसें, और निजी वाहन शामिल हैं। यात्रियों का अनुभव, इस मार्ग पर गुजरते हुए, बेहद असुविधाजनक और जोखिम भरा साबित हो रहा है।
गहरे गड्ढों की मौजूदगी न केवल यातायात को बाधित करती है, बल्कि दुर्घटनाओं के संभावनाएं भी बढ़ाती है। कुछ गड्ढों की गहराई इतनी है कि छोटे वाहन या मोटरसाइकिल आसानी से असंतुलित हो सकते हैं, जिससे गंभीर चोटें या वाहन क्षति हो सकती है। इन गड्ढों की स्थिति इतनी खराब है कि कई स्थानों पर वाहन चालकों को अपने रूट बदलने की नौबत आ जाती है।
सतना नाका से मोहन निवास चौराहे के बीच इस खंड की स्थिति आरक्षित रूप से खराब होने का संकेत देती है। यह हिस्सा बड़े पैमाने पर त्रुटियों से ग्रस्त है, जिससे स्थानीय रहवासियों और दैनिक यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस खंड के सुधार की आवश्यकता अब अनिवार्य हो चुकी है, ताकि यातायात की सुगमता बढ़ाई जा सके और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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यात्रा से होने वाली समस्याएं
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की बदहाल स्थिति ने यात्रियों की शारीरिक सेहत पर गंभीर असर डाला है। इस मार्ग पर यात्रा करते समय होने वाले गड्ढों के कारण दुर्घटनाएं और चोटें आम हो गई हैं। गड्ढों से बचने के लिए ड्राइवर को अचानक ब्रेक लगाने पड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गाड़ियों का संतुलन बिगड़ सकता है।
गड्ढों के कारण वाहन हिचकोलों का सामना करते हैं, जिससे यात्रियों के शरीर के जोड़ हिलते हैं और उनके शरीर में दर्द होने लगता है। लम्बी दूरी की यात्रा के दौरान यह समस्या और भी विकट हो जाती है। कई बार यात्रियों को अस्पताल में इलाज कराने की नौबत आ जाती है।
गड्ढों के कारण, वाहन चालकों को अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है, जिससे उनकी मानसिक थकावट भी बढ़ जाती है। यह थकावट उनके निर्णय लेने की शक्ति और प्रतिक्रिया समय को कमजोर कर सकती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।
बदहाल रास्तों की वजह से व्यवसायिक वाहनों के समय पर पहुंचना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। इससे न केवल आर्थिक नुक्सान होता है, बल्कि सड़क पर फंसने और देर होने की स्थिति में यात्रियों को मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की जर्जर हालत को जल्द से जल्द सुधारने की जरूरत है, ताकि यात्रियों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इन बुरे प्रभावों को कम किया जा सके। सड़क यात्रा को फिर से सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए यह आवश्यक है कि इस महत्वपूर्ण मार्ग की मरम्मत हेतु उपयुक्त कदम उठाए जाएं।
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प्रशासनिक जिम्मेदारियों की उपेक्षा
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की वर्तमान स्थिति प्रशासनिक उपेक्षा का स्पष्ट उदाहरण है। सड़कों की मरम्मत और उनके रख-रखाव की जिम्मेदारी सधारणत: अधिकारिक प्रशासन पर होती है, लेकिन यहां यह जिम्मेदारी केवल नाम मात्र की रह गई है। इस राजमार्ग पर कई गड्ढे और टूट-फूट साफ़ नजर आती है, जो दर्शाता है कि मरम्मत कार्य केवल दिखावे के लिए किए गए हैं।
अनेक बार, न्यूनतम संसाधनों और अपर्याप्त गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करके मरम्मत कार्य किया गया है, जिससे इनकी दीर्घकालीन लाभ के बजाय अस्थायी सुधार ही संभव हो पाता है। प्रशासकीय तंत्र द्वारा लालफीताशाही और धीमी प्रक्रिया के चलते सड़क की दशा में सुधार लाने के प्रयास आवश्यक गति नहीं पकड़ पाते। इसका सीधा असर यातायात और दैनिक यात्रियों पर पड़ता है, जो इन खराब सड़कों से होकर गुजरने के लिए मजबूर हैं।
इस मामले में, प्रशासनिक उपेक्षा के कई उदाहरण देखे जा सकते हैं। राजमार्ग के विभिन्न खंडों पर किये गए अधूरे मरम्मत कार्य स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मानकों का पालन नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त, समय-समय पर निगरानी और निरीक्षण की कमी भी एक बड़ी समस्या साबित हो रही है।
अगर प्रशासकीय संस्थाएं अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करतीं, तो राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की स्थिति इतनी खराब नहीं होती। जरूरी है कि प्रशासकीय जिम्मेदारियों में सुधार लाकर सड़कों की मरम्मत और उनके रख-रखाव के कार्यों को गंभीरता से लिया जाए। इससे न केवल यातायात सुविधा में सुधार आएगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और आराम में भी वृद्धि होगी।
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स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की बदहाली पर स्थानीय निवासियों और नियमित यात्रियों ने अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है। अनेक स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क की खराब स्थिति उनके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। शिवाजी चौधरी, एक स्थानीय दुकानदार, ने कहा, "यह सड़क न केवल व्यापार के लिए बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक बड़ा सिर दर्द बन गई है। गड्ढों के कारण न सिर्फ ट्रैफिक में रुकावट आती है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम भी बढ़ जाता है।"
निर्मला देवी, जो इसी मार्ग से अपने कार्यस्थल पर प्रतिदिन जाती हैं, ने साझा किया, "मैं हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर जाती हूं। सड़क इतनी खराब है कि वाहन चलाते समय ऐसा महसूस होता है मानो हड्डियां हिल जाएंगी।" नियमित यात्रियों में भी यही भावना स्पष्ट दिखाई देती है।
रमेश ठाकुर, एक ऑटो चालक, ने इस बारे में कहा, "मैं पिछले दस सालों से इस सड़क पर सवारी कर रहा हूं लेकिन वर्तमान स्थिति सबसे बदतर है। मेरे वाहन की मरम्मत पर खर्चा बढ़ गया है। सरकार को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए।"
इन प्रतिक्रियाओं से यह साफ जाहिर है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की खराब स्थिति न केवल यातायात को बाधित कर रही है बल्कि स्थानीय निवासियों के जीवन को भी प्रभावित कर रही है। उनकी यह शिकायत है कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिसका नतीजा यह है कि लोगों को अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
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समाज और सरकार से अपेक्षाएं
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, समाज और सरकार के समक्ष कई महत्वपूर्ण अपेक्षाएं उभरती हैं। सबसे पहले, सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि इस महत्वपूर्ण मार्ग की अविलंब मरम्मत की जाए। राजमार्ग-39 एक महत्वपूर्ण यातायात मार्ग है और इसकी खराब हालत यात्रियों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। गड्ढों और अन्य खामियों को जल्द से जल्द ठीक करना आवश्यक है ताकि दुर्घटनाओं की संभावनाएं कम हो सकें और यात्रियों को सुरक्षित और सुगम यातायात मिल सके।
इसके साथ ही, भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए सरकार को एक स्थायी योजना बनानी होगी। उचित और नियमित निरीक्षण और मरम्मत कार्यों को सुनिश्चित करने हेतु एक सक्रिय तंत्र की आवश्यकता है जिसमें उचित बजट का आवंटन किया जाए। इसके अतिरिक्त, स्थानीय प्रशासन और नागरिक संगठनों का भी सकारात्मक सहयोग आवश्यक है ताकि यह देखा जा सके कि राजमार्ग की स्थिति पर लगातार निगरानी बनी रहे।
समाज की भूमिका भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सरकार पर दवाब बनाने की जरूरत है ताकि वे राजमार्ग की मरम्मत और रखरखाव की दिशा में ठोस कदम उठाएं। जनभावनाओं को संगठित कर नागरिक समाज को एक सामूहिक आवाज बनाकर अपनी मांगें सरकार तक पहुँचाना चाहिए। साथ ही, स्थानीय व्यक्तियों और संगठनों को भी अपनी तरफ से सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि वे किसी भी अव्यवस्था की समय रहते जानकारी दे सकें और कार्रवाई करवा सकें।
कुल मिलाकर, राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की स्थिति सुधारने के लिए समाज और सरकार दोनों की सामूहिक और समभावना पूर्ण प्रयास की आवश्यकता है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो केवल सरकार के प्रयासों से नहीं सुलझ सकता, बल्कि समाज और सरकारी निकायों के संयुक्त प्रयास से ही इसका समाधान संभव है।
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बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग-39: डेढ़ किमी में आधा सैकड़ा गड्ढे, यात्रियों के हिल रहे हैं शरीर के जोड़
पन्ना: राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि सफर के दौरान यात्रियों के शरीर के जोड़ हिलने लगे हैं। सतना नाका से मोहन निवास चौराहे तक के इस 1.5 किमी के हिस्से में आधा सैकड़ा से अधिक गहरे गड्ढे बन चुके हैं। यह मार्ग, जो कभी यात्रियों के लिए सुविधा का मार्ग हुआ करता था, अब एक ऐसी चुनौती बन गया है जिससे गुजरना मुश्किल हो गया है। रोजाना इन गड्ढों में फंसकर लोग लहूलुहान हो रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं हो रहा।
जिम्मेदारों की अनदेखी:
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की मरम्मत का दावा तो किया गया था, लेकिन इसे सिर्फ खानापूर्ति के रूप में पूरा किया गया। परिणामस्वरूप, मार्ग की स्थिति दो महीने भी नहीं चल पाई। सतना बैरियर से मोहन निवास चौराहे तक की सड़क जगह-जगह से टूट चुकी है। डामर की ऊपरी परत उखड़ गई है, और पन्ना घाटी में शोल्डर की मिट्टी हट चुकी है, जिससे वहां से गुजरना बेहद खतरनाक हो गया है। झाड़ियाँ भी उग आई हैं, जो दृश्यता को और भी घटा रही हैं।
अफसरों की सख्ती भी बेअसर:
इस मार्ग की बदहाली ने सिर्फ आम लोगों को ही नहीं, बल्कि जिले के अफसरों को भी परेशान कर दिया है। हादसों और जाम की स्थिति रोज की कहानी बन गई है। अफसरों ने मंच से लोनिवि रीवा संभाग को चेतावनी भी दी थी कि यदि हादसा हुआ, तो अपराध दर्ज किया जाएगा। लेकिन अफसरों की यह सख्ती भी लोनिवि रीवा संभाग पर असर नहीं डाल पाई।
लोनिवि रीवा संभाग की लापरवाही:
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 के अनुरक्षण और रखरखाव की जिम्मेदारी एमपी लोनिवि रीवा संभाग पर है, लेकिन यह संभाग मरम्मत के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा कर रहा है। इस लापरवाही का खामियाजा राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है, जिनका हर दिन इस मार्ग से गुजरना किसी संघर्ष से कम नहीं है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
एमपी लोनिवि रीवा संभाग के कार्यपालन यंत्री शंकरलाल ने स्वीकार किया कि बारिश के कारण मार्ग में गड्ढे हो गए हैं। उन्होंने मार्ग का निरीक्षण भी किया है और आश्वासन दिया है कि मरम्मत कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा, ताकि लोगों को आवाजाही में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
राष्ट्रीय राजमार्ग-39 की मौजूदा स्थिति यह स्पष्ट कर देती है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारी सचेत नहीं होते और गंभीरता से मरम्मत कार्य नहीं कराते, तब तक इस मार्ग पर सफर करने वाले यात्रियों की मुश्किलें कम नहीं होंगी।
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