राजस्व उपखंड (Revenue Subdivision)

राजस्व उपखंड जिले की प्रशासनिक इकाई होती है, जो भूमि प्रशासन और राजस्व संग्रहण के कार्यों को संभालती है। जिले में 5 राजस्व उपखंड हैं, जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।

अजयगढ़ (Ajaygarh )

. अजयगढ़ (Ajaygarh)

  • भौगोलिक स्थिति: अजयगढ़ बुंदेलखंड क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में स्थित है। यह क्षेत्र विंध्याचल पहाड़ियों के निकट है, जिससे इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व दोनों जुड़े हुए हैं।
  • इतिहास: अजयगढ़ का किला बुंदेला राजवंश के समय का महत्वपूर्ण स्मारक है। अजयगढ़ किला और इसके आसपास के क्षेत्र में चंदेल काल की वास्तुकला के निशान देखे जा सकते हैं।
  • वर्तमान स्थिति: अजयगढ़ में कृषि कार्य मुख्य रूप से गेहूं, मक्का, और तिलहन के रूप में होते हैं। यहाँ के निवासियों के लिए जल प्रबंधन, सिंचाई और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।

पन्ना (Panna)

  • भौगोलिक स्थिति: पन्ना जिले का मुख्यालय होने के कारण पन्ना उपखंड का क्षेत्र न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध है।
  • इतिहास: पन्ना की हीरा खदानों का ऐतिहासिक महत्व है, जहाँ भारत के कुछ सबसे कीमती हीरे पाए गए हैं। पन्ना किला और आसपास के मंदिर इस क्षेत्र के ऐतिहासिक गौरव को दर्शाते हैं।
  • वर्तमान स्थिति: पन्ना को पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। पन्ना टाइगर रिजर्व, जलप्रपात और ऐतिहासिक स्थल यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं। कृषि में यहाँ धान, मक्का, और तिलहन प्रमुख फसलें हैं।

गुनौर (Gunour)

  • भौगोलिक स्थिति: गुनौर उपखंड जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है और यह क्षेत्र नदी क्षेत्रों के नजदीक होने के कारण कृषि कार्य के लिए उपयुक्त है।
  • इतिहास: गुनौर का ऐतिहासिक महत्व पन्ना से कम है, लेकिन यहाँ के किलों और मंदिरों में बुंदेला काल के निशान पाए जाते हैं।
  • वर्तमान स्थिति: यहाँ के किसान मुख्य रूप से धान और गेहूं की खेती करते हैं। जल संचयन और सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से कृषि उत्पादन में वृद्धि की जा रही है।
  • भौगोलिक स्थिति: पवई क्षेत्र जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिससे यहाँ का प्राकृतिक वातावरण और सुंदर बनता है।
  • इतिहास: पवई का ऐतिहासिक महत्व कम है, लेकिन यहाँ के धार्मिक स्थल और वन्यजीव इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं।
  • वर्तमान स्थिति: कृषि और वन उत्पादों के माध्यम से यहाँ की अर्थव्यवस्था संचालित होती है। हाल के वर्षों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए हैं।

शाहनगर (Shahnagar)

  • भौगोलिक स्थिति: शाहनगर उपखंड का क्षेत्र वनों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ की भूमि कृषि और वन्य जीवन के लिए उपयुक्त है।
  • इतिहास: शाहनगर में बुंदेल काल के किलों और धार्मिक स्थलों का ऐतिहासिक महत्व है।
  • वर्तमान स्थिति: शाहनगर में मुख्य रूप से कृषि कार्य होते हैं, जिसमें धान, मक्का और तिलहन की फसलें प्रमुख हैं। यहाँ के लोग वन उत्पादों, जैसे लकड़ी और औषधि, के माध्यम से भी अपनी आजीविका चलाते हैं।

पन्ना जिले के विकासखंड (Development Blocks):

विकासखंड का उद्देश्य गांवों में विकास कार्यों का संचालन करना और ग्रामीण जीवनस्तर को बेहतर बनाना है। 5 विकासखंड पन्ना जिले में हैं, जो क्षेत्रीय विकास योजनाओं के तहत काम करते हैं।

अजयगढ़ (Ajaygarh )
  • मुख्य विकास कार्य: शिक्षा, जल आपूर्ति, सड़क निर्माण और कृषि सुधार योजनाओं का कार्य।
  • कृषि: गेहूं, मक्का, और तिलहन की प्रमुख फसलें।
  • सामाजिक योजनाएं: महिला सशक्तिकरण और बाल विकास योजनाओं के माध्यम से समुदाय का सामाजिक उत्थान।

पन्ना विकासखंड (Panna Block)

  • मुख्य विकास कार्य: जल आपूर्ति और सिंचाई परियोजनाएं, सरकारी विद्यालयों का निर्माण।
  • कृषि: प्रमुख फसलें धान, मक्का, और तिलहन।
  • पर्यटन: पन्ना टाइगर रिजर्व और ऐतिहासिक जलप्रपातों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देना।

गुनौर विकासखंड (Gunour Block)

  • मुख्य विकास कार्य: जल प्रबंधन, सिंचाई योजनाएं और किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण।
  • कृषि: धान, गेहूं और मक्का।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
  • पवई विकासखंड (Pawai Block)

    • मुख्य विकास कार्य: ग्रामीण सड़कें, जलापूर्ति परियोजनाएं और सामुदायिक भवनों का निर्माण।
    • कृषि: प्रमुख फसलें गेहूं, मक्का और तिलहन।
    • सामाजिक विकास: महिलाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।

शाहनगर विकासखंड (Shahnagar Block)

  • मुख्य विकास कार्य: वन्य जीवन संरक्षण, जल आपूर्ति, और पर्यावरणीय संरक्षण परियोजनाएं।
  • कृषि: धान, मक्का, और तिलहन।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा: स्वास्थ्य केंद्रों और विद्यालयों के निर्माण के लिए योजनाएं।